रखदो चटके शीशे के आगे मन का कोई खूबसूरत कोना ,यह कोना हर एक टुकड़े में नज़र आये गा |
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मंगलवार, 18 मई 2010
क्या पानी टूटता है ?
उम्र के दरिया में वक्त ने पानी की दीवार की तरह एक ऐसी ऊँची दीवार खड़ी की है जिसके इस ओर तो अपनी शक्ल दिखती है पर उस ओर कुछ बेहद अपना रह गया है .
पत्थर से पानी को मारना कितना बेमानी लगता है यकीनन मेरी ये कोशिश बिना हश्र के होगी सिर्फ और सिर्फ उसकी लहरें मेरे मजाक़ बन जाने की गवाह होंगी . क्या मालूम कि उस दीवार के पीछे कोई रहम का बंजारा ठहरा हो ये देखने की कोशिश फिर पानी की दीवार को पत्थर से तोड़ने कि तरह है .
joshi ji aapne mere blog ko smy diya , bhut bhut shukriya pani ki tmam phitrt ko bhi samne kiya iske liye bhi shukriya
jis pani ka jikr mai kr rhi hu vo drasl smy hai jis ke is or to mai hu us orkuchh rh gya hai our ek dhundhlka hai jiski vjh se kuchh saf nhi dikhai de rha hai koshish jari hai .
पानी टूटता नहीं तोड़ देता है.
जवाब देंहटाएंअपनों को अपनों से दूर करने का जख्म देता है.
कही देश,प्रदेश इसकी वजह से आपस में लड़ जाते है,
और बाढ़ में कही घर और घरोंदे उड़ जाते है.
joshi ji aapne mere blog ko smy diya , bhut bhut shukriya
जवाब देंहटाएंpani ki tmam phitrt ko bhi samne kiya iske liye bhi shukriya
jis pani ka jikr mai kr rhi hu vo drasl smy hai jis ke is or to mai hu us orkuchh rh gya hai our ek dhundhlka hai jiski vjh se kuchh saf nhi dikhai de rha hai
koshish jari hai .
bahut khub likha aapne. me to sirf paani ki biwechna ko aage badhana chata tha. dhnyabad
जवाब देंहटाएंaabhar
swagt hai .
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