रखदो चटके शीशे के आगे मन का कोई खूबसूरत कोना ,यह कोना हर एक टुकड़े में नज़र आये गा |

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बुधवार, 3 फ़रवरी 2010

घर की तलाश जारी है

चाँद तारों के पार जो कोई मुकाम मिल जाये 
तो बताना मुझे
एक घर की तलाश जारी है
चौखट ना हो,खिड़की ना हो,दरवाज़ा भी ना हो
कोई बात नहीं 
सुकून की एक चादर हो बस इतना काफी है मेरे लिए
एक फूल साथ ले जाऊँगी
खुली हथेली का मोती बनाऊँगी उसे 
कुछ उसकी सुनूंगी कुछ अपनी कहूँगी 
युही कहते सुनते आसमाँ की सैर करूंगी
एक पन्ना भी ले जाना है मुझे ,खालिस कोरा 
उस दुनिया की फ़िज़ा को नज़्म की शक्ल दूँगी 
कोई अक्षर टूट के नीजे गिरेगा नहीं 
ओढ़नी का जाल पहले बिछा दूँगी मैं 
जिस्म को सांस चाहिए 
तो रूह को आवाज़ चाहिए
ये अक्षर गुम गए तो मर के फिर मर जाऊंगी मैं 
मैं  दोबारा मरना  नहीं चाहती.
घर मिले तो बताना, किराये की फ़िक्र ना करना.
जो कुछ भी खरा बचा होगा मुझमे 
एक ही किश्त में दे जाऊंगी उसे.
उसकी फ़िक्र ना करना
बस घर चाँद तारों के पार हो इसका ख़याल रखना.












क्या पानी टूटता है?

उम्र के दरिया में
वक़्त ने 
पानी की दीवार की तरह
एक ऐसी ऊची   दीवार खड़ी  की है
जिसके इस ओर तो 
अपनी शक्ल दिखती है
पर उस ओर
कुछ बेहद अपना रह गया है!


पत्थर को पानी से मारना 
कितना बेमानी लगता है!
यकीनन मेरी ये कोशिश
बिना हश्र के होगी 
सिर्फ और सिर्फ उसकी लहरें 
मेरे मज़ाक बन जाने की गवाह होगी !


क्या मालूम की उस 
दीवार के पीछे 
कोई रहम का बंजारा ठहरा हो
ये देखने की कोशिश फिर
पानी की दीवार को 
पत्थर से तोड़ने की तरह है
क्या पानी टूटता है ?






कोना



रख दो चटके शीशे के आगे

मन  का कोई खूबसूरत  कोना

ये कोना हर एक

टुकड़े में नज़र आएगा

 









ख्वाहिश

 में उन पलों को जीना चाहती हूँ

तुम चाहो तो इसे दिवास्वप्न कह लो .

मैं उन एहसासों को छूना चाहती हूँ 

तुम चाहो तो इसे पागलपन कह लो ! 










चाहत

एक लोटा पानी और उसमे
समंदर की चाहत
ये कैसा दिल है!
ज़िन्दगी के चन्द  लम्हे
मुट्ठी में आसमाँ 
ये कैसी चाहत है!
एक सांस में दुनिया की
सारी ख़ुश्बू
अजीब पागलपन है!
छोटा सा गुलदस्ता
ढेर सारे सपने
ये क्या हम है?










 







भीड़

भीड़ भी चस्पा हो गयी है

ज़िन्दगी में कुछ इस तरहां,

कि ख़ुद को पहचानने के लिए

ख़ुद की तस्वीर नाकाफ़ी है.













मशाल

एक मशाल तुम्हे चाहिए
जलाने के लिए
एक मशाल मुझे चाहिए
बुझाने के लिए
देखे इस नफरत और
मोह्हबत की जंग में
कौन मिटता है
क्या मिटाने के लिए