रखदो चटके शीशे के आगे मन का कोई खूबसूरत कोना ,यह कोना हर एक टुकड़े में नज़र आये गा |
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बुधवार, 4 अगस्त 2010
महंगाई
उफ़ ! ये महंगाई
एक शाश्वत सच
जिस पर न जाने कितनो के है सिर फूटे
कितनों के है घर टूटे ,
कितने सपनों ने है दम तोडा
कितनों ने है घर छोड़ा
मगर है ये बड़ी बेहया
बिन बुलाये टपक पडती है
खूब छकाती है
खून के आंसू रुलाती है
बिट्टू ने आ के कहा ' फीस बढ़ गई '
बच्चे के भविष्य का सवाल है ,सरेंडर कर दिया
बीवी ने कहा दूध ' दूध महंगा हो गया ' वो भी जरूरी है
गाड़ी को पेट्रोल चाहिए , बजट बढाइये
काम वाली की सुविधा चाहिए ,एडवांस निकालिए
बहुत तडफा है कलेजा उस पीली कमीज को
जो मॉल के दूसरे फ्लोर पर शीशे के उस पर से मुह चिढाती है
हसरत भरी निगाहों से उसे देखता हूँ फिर मुह फिरा लेता हूँ
ये महंगाई सीजनल नही ,बारहमासा है
जब जी चाहे ,जहाँ जी चाहे
कुकुरमुत्ते की तरह उग आती है
बजट में पूरी रवानगी के साथ परवान चढ़ जाती है
एक तबका है जो महंगाई का रोना रो - रो कर
अपनी तिजोरी भरता है |
अरे वही ,अपना बालीवुड
अब देखो !
बाप चाल में रहता है
छत से पानी टपकता है
बेटा घर जमाई बनता है
बेटी नौकरी करती है
तमाम तकलीफें सहती है
अंत में समाधान मिल जाता है और
फिल्म का अंत सुखांत हो जाता है |
क्या रियल जिन्दगी में ये सम्भव है ?
अब देखिये फिल्म हिट क्या सुपर हिट है
और महंगाई है की बाक्स आफिस पर तोडती दम है
देखा ! इस फार्मूले पर पूरा पैसा वसूल है
अजी , सवाल फिर वहीं का वहीं है एक ओर
जन्म स्थल यानि अस्पतालों का पलंग महंगा हो गया है
तो दूसरी ओर शमशान की लकड़ियों का किराया भी बढ़ गया है
अब जाएँ तो जाएँ कहाँ
समझेगा कौन यहाँ
दर्द भरे दिल की जुबाँ
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बिल्कुल ! एक शाश्वत सच !!!!
जवाब देंहटाएंHats Off!
जवाब देंहटाएंBeautifully encapsulated with a touch of humour!
susheela , ashish thank you very much for your lovely comments .
जवाब देंहटाएंइस बार आपके लिए कुछ विशेष है...आइये जानिये आज के चर्चा मंच पर ..
जवाब देंहटाएंआप की रचना 06 अगस्त, शुक्रवार के चर्चा मंच के लिए ली जा रही है, कृप्या नीचे दिए लिंक पर आ कर अपने सुझाव देकर हमें प्रोत्साहित करें.
http://charchamanch.blogspot.com
आभार
अनामिका
Jeevan ke yatharth ko salike se salma sitaron ki tarah kavita men taank diya hai aapne.
जवाब देंहटाएंzikir saheb ,your comment is just like poetry .thanks a lot .
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंघर घर की परेशानी को लिख दिया है...अच्छी अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंsach kA Samna shandar....................
जवाब देंहटाएंISO 2010 LEKHIKA MADAM
shri
जवाब देंहटाएंis layk nhi hun please. abhi bhut vkt lgega is ksauti pr khre utrne me . ha aapne jo hausla diya uske liye bhut bhut bhut shukriya .