जमीं पे गिरे चिनार के पत्ते पर
शबनम की एक बूंद लरज रही थी .
उगते सूरज की रौशनी से वो शबनम नहाई हुई थी .
उसने मुझे पुकारा '' ये पत्ता उदास है , इसे हसी ला के दो .''
मैंने शबनम की बूंद को आहिस्ता से आँखों पे लगाया
और पत्ते को चूम कर हवा में उड़ा दिया, फिर चल पड़ी
इस पाक एहसास के साथ कि वो पत्ता अब सारे जहाँ को हसी बाट रहा होगा
नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं
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