रश्मि दी केक्टस शुक्र गुज़ार है आप का | वो कहता है -------- आज मै बहुत खुश हूँ कि पन्नों पे मुझे मिली है जगह वरना अक्सर बिना छत के बाग़ बगीचों में मिलती रही है पनाह मुझे | मै बेफिक्र हूँ अब हर आहट से उसे खुद भी अब मुझसे बच के चलना होगा कोई पल्लू जो अड़ जाये मुझमे तो बड़ी नजाकत से उसे छुड़ाना होगा | कई दर्द की दवा भी हूँ मै नजर की दरकार है पहचानने के लिए आदम की तरहां फितरत नही बदलता हूँ मै अपने हर कांटे ,हर चुभन से बहुत प्यार है मुझे |
अरे वाह!! क्या बात है बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंतो इंतज़ार है उन शर्मसार शब्दों का.... सिर्फ कैक्टस के लिए
जवाब देंहटाएंरश्मि दी
जवाब देंहटाएंकेक्टस शुक्र गुज़ार है आप का | वो कहता है --------
आज मै बहुत खुश हूँ कि
पन्नों पे मुझे मिली है जगह
वरना अक्सर बिना छत के
बाग़ बगीचों में मिलती रही है पनाह मुझे |
मै बेफिक्र हूँ अब हर आहट से
उसे खुद भी अब मुझसे बच के चलना होगा
कोई पल्लू जो अड़ जाये मुझमे
तो बड़ी नजाकत से उसे छुड़ाना होगा |
कई दर्द की दवा भी हूँ मै
नजर की दरकार है पहचानने के लिए
आदम की तरहां फितरत नही बदलता हूँ मै
अपने हर कांटे ,हर चुभन से बहुत प्यार है मुझे |
कैक्टस pe likhna bahut sahiiiiiiiiiiiiiii
जवाब देंहटाएंwaaaaaaahhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhh
कभी आना जिंदगी की गली में
जवाब देंहटाएंजहाँ तरह तरह के केकटस हैं
लेकिन सच कहता है ये केक्टस
साथ न छोडेगा बीच रास्ते में
और हो सके तो कुछ सीख ले मुझसे
http://anamika7577.blogspot.com/2010/05/blog-post.html
इस लिंक को पढ़ लोगे तो सीख मिल जायेगी.
बहुत कम शब्दों में आपने कमाल का लिख दिया.
मैं एक
जवाब देंहटाएंभीषण रेगिस्तान
की मानिंद
जहाँ
छाँव के लिए
दरख्त नही
बस
चुभन के लिए
नागफनी हैं।
आप शर्मिंदा ना हों..लिखने वाले नागफनी पर भी लिखते हैं और गुलमोहर पर भी ....
कभी मौका हो तो पढियेगा ...
waah raaj ..tippani ke jawaab men kaktus par likhi kuchh panktiyan laajwaab kar gayin .. badhaayi
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