जिन्दगी से हमे कितना चाहिए और क्या चाहिए
ये इतना मायने नही रखता जितना की
जिन्दगी से मुझे क्यों चाहिए और कैसे चाहिए
ये मायने रखता है |
कितना चाहिए की कोई सीमा नही ,
क्या चाहिए का कोई अंत नही
क्यों चाहिए में एक वजह है
कैसे चाहिए में एक वजन है |
हम पाते है खुश हो जाते है
रम जाते है थम जाते है
क्यों और कैसे को साथ रखे तो
निष्क्रिय होने से बच जाते है | ,
बहुत बढ़िया , चीजों को साफ़ सुथरा देखने का दृष्टिकोण इसी तरह विकसित होता है ।
जवाब देंहटाएंक्यों चाहिए में एक वजह है
जवाब देंहटाएंकैसे चाहिए में एक वजन है |
वाह... अगर हम सब इस नीति को अपनाये, तो सभी सुखी हो जाये, बहुत ही सुंदर ओर सुलझी हुयी रचना. धन्यवाद
waah
जवाब देंहटाएंachchha lgta hai jb koi kuchh khna chahe our use usi roop me pathk grahy kre .
जवाब देंहटाएंthank you very much .
bahut sulze drishtikon walee kawita.
जवाब देंहटाएंक्यों और कैसे को साथ रखे तो
जवाब देंहटाएंनिष्क्रिय होने से बच जाते है |
सटीक बात ....आभार
aap sbhi ka bhut bhut dhnywaad .
जवाब देंहटाएं