रखदो चटके शीशे के आगे मन का कोई खूबसूरत कोना ,यह कोना हर एक टुकड़े में नज़र आये गा |

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मंगलवार, 10 अगस्त 2010

सोच की आजादी

कहते है  सोच कीआजादी  होनी चाहिए | मैंने  अपनी पिटारी का ढक्कन खोला तो उसमें बहुत सारे  सोच कुनमुना रहे थे  | मैने  एक एक सोच को धीमे धीमे  बाहर निकाला और उस पर पड़ी धूल को झाड़ने लगी तो देखा कि -
मै गौरैया बनना  चाहती हूँ 
अपने सपनों में उसके पंखों की 
वो ताकत भरना चाहती हूँ 
जो अदृश्य हो जाने की हद तक 
उड़ान भरने में समर्थ है | 


मै वो पत्थर बनना चाहती हूँ 
जो हवा , पानी , आग जैसे सारे 
थपेड़ों को सहने के बाद भी 
अपने अस्तित्व की मजबूती को 
कायम रखना जानते है | 


मै वो दरिया बनना चाहती हूँ 
जो उबड - खाबड़ तमाम रास्तों से 
गुजरने के बाद भी दो पाटों के बीच 
हमेशा एक रिश्ता बनाये रखने में समर्थ है | 


एक मेरी सोच दीवार पर टंगी 
फ्रेम जड़ी वो तस्वीर बनना चाहती है 
जो भूली  बिसरी यादों को हर पल 
ज़ेहन में ताज़ा रख सकने में समर्थ हो  | 


मै वो पगडंडी बनना चाहती हूँ 
जिस पर चल के किसान की घरवाली 
सोंधी सोंधी खुश्बू वाली दो रोटियां 
उसके लिए प्यार से बना के लाती है | 


मै वो जिस्म बनना चाहती हूँ 
जिसकी हर धडकन में कुदरत की 
हर थाप , हर पदचाप पर 
थिरकने का माद्दा हो | 


हाँ ! मै स्वाति - नछत्र की 
वो बूंद बनना चाहती हूँ 
जो आसमाँ से टपक के 
सीप के आगोश में सिमट के 
सच्चे मोती का अस्तित्व पाती है | 


अभी भी खुले आसमाँ के नीचे 
बिछी सर्द सफेद चादर पर 
कई सोच उनींदी अलसाई सी लुढकी पड़ी है 
दरअसल बहुत दिनों बाद इन्हें खुली जगह मिली है | 

15 टिप्‍पणियां:

  1. Rajwant ji..yaqeen maaniye bahut hi achhi prastuti hai. Padhker bahut hi achha lagaa.

    Apko meri shubkaamnaayen.....

    जवाब देंहटाएं
  2. मै वो जिस्म बनना चाहती हूँ
    जिसकी हर धडकन में कुदरत की
    हर थाप , हर पदचाप पर
    थिरकने का माद्दा हो |
    .........मै भी,यकीन मानिए !!!!!!!

    जवाब देंहटाएं
  3. पहले तो मैं आपका तहे दिल से शुक्रियादा करना चाहती हूँ मेरे ब्लॉग पर आने के लिए और टिपण्णी देने के लिए! मेरे अन्य ब्लोगों पर भी आपका स्वागत है!
    मुझे आपका ब्लॉग बहुत अच्छा लगा! बहुत बढ़िया लिखा है आपने जो काबिले तारीफ़ है! इस उम्दा पोस्ट के लिए बधाई!

    जवाब देंहटाएं
  4. राजवंत जी,
    पहले तो बहुत बहुत शुक्रिया आपका के आपने अपना कीमती वक़्त मेरे लिए निकाला और मेरी रचना पढ़ी!
    आपकी रचना पढ़ी, क्या कहूं, लफ्ज़ नहीं हैं तारीफ करने के लिए!
    आपके सामने अपने आपको बहुत छोटा महसूस कर रहा हूँ और ये मैं सकारात्मक रूप में कह रहा हूँ!
    काश मैं कभी आपके बराबर सोच का दायरा बढ़ा पाऊँ!
    आते रहिएगा हौसला अफजाई करने!

    जवाब देंहटाएं
  5. राजवंत जी, आपकी सोच से वाकिफ होकर अच्‍छा लगा। आपकी अन्‍य कविताएं भी देखीं। आप बहुत सकारात्‍मक हैं। मेरी कविता पर आपकी टिप्‍पणी से मुझे बहुत हौसला मिला। आपने जो कहा है वह कविता का सार है। आभार।

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  6. rajwant didi...mafi chahunga blog se gayab rahne ke liye..
    aapke post par aa kar man behad khush hua..aapki rachna hamesha ki tarah gahri ban padi hay.umda kaam ke liye badhai.

    जवाब देंहटाएं
  7. arshad bhai ,rmjan ki shuruaat me id ke chand ka deedar ! kha the ? khairiyt to hai ?
    rajesh ji aapne jo likha tha sch likha tha our sch ki kdr to honi hi chahiye .
    surendr ji maine char panch mhine phle hi blog pr likhna shuru kiya hai . blog pr to bhut bhut kabil rchnakar hai . mai to khud hi apne ko unka shishy pati hu .hm sbhi ek dusre se kuchh sikhe yhi achchhi bat hogi .
    bbli,anoop,susheela our virendra ji aap sbka aabhar our bhut bhut swagt .aap sbhi ki rchnadhrmita bhut umda hai .

    जवाब देंहटाएं
  8. वाह जी वाह , बहुत नेक विचार और बहुत उम्दा सोच ।
    ब्लॉग पर आने और शुभकामनाओं के लिए हार्दिक आभार ।

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  9. bahut hi sundar.....
    pehli baar aapke blog par aayi hu.. sachmuch bahut acha laga....

    Meri Nayi Kavita par aapke Comments ka intzar rahega.....

    A Silent Silence : Naani ki sunaai wo kahani..

    Banned Area News : Now, use Botox to zap that horrendous migraine

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  10. rajwant ji. aapne itni achhi rachna likhi hai ki mai ek-ek shabd aur har waky ko bar bar padhti gai.sajivatmakta avam gahrai liye hui hi aapki post. bahut hi yatharthpurn abhivyakti.
    poonam

    जवाब देंहटाएं
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    स्वतंत्रता दिवस के मौके पर आप एवं आपके परिवार का हार्दिक अभिनन्दन एवं शुभकामनाएँ !

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  12. पहली बार आकर आनन्दित ।
    प्रशंसनीय ।

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  13. आपकी यह रचना बहुत खूबसूरत लगी ....कितने सारे ख्वाब लिए हुए ...

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