रखदो चटके शीशे के आगे मन का कोई खूबसूरत कोना ,यह कोना हर एक टुकड़े में नज़र आये गा |

यह ब्लॉग खोजें

शुक्रवार, 3 दिसंबर 2010

सोच

हम क्योँ नही उबर सके 
अपनी सोच से 
तमाम उम्र गुजर डाली
  इसी सोच में  |
अब तो वक्त भी कह रहा है
तेरी सोच में 
तब्दिली की सख्त जरूरत है |


इस सोच को
यकीन क़ी संकरी  गली बना ,
कोई तो सिरा हासिल होगा |
शर्त है - वो गली संकरी हो 
ना कोई आजूं हो ना  बाजूं हो 
बस तू हो और तेरी जुस्तजू हो |
फिर देख ! 
फिर देख तेरी सोच क्या रंग लाती है ,
नामुमकिन होगा कि
तू वहीं कि वहीं खड़ी रह जाती है |
तुझे खुद ना सुनाई देगी 
दिन 
महीने 
और सालों वाले कैलेंडर की फड फड़ाहट 
क्यों क़ि अपनी रौं में 
बहता हुआ कोई शख्स 
फिर अपने बस में भी नही होता है |

12 टिप्‍पणियां:

  1. इस सोच को
    यकीन क़ी संकरी गली बना ,
    कोई तो सिरा हासिल होगा |

    राजवंत जी आप की कविता में जीवन के अनमोल मंत्र है. बहुत ही अच्छी सीख ........

    www.srijanshikhar.blogspot.com पर ( राजीव दीक्षित जी का जाना )

    जवाब देंहटाएं
  2. जीवन के कई पक्ष अपने बस में नहीं हैं, बहना उनका और देखना हमारा।

    जवाब देंहटाएं
  3. कभी जब अपने हाथ में कुछ न हो तो जो होता है उसे ही होते देखना भी अच्छा लगता है

    जवाब देंहटाएं
  4. दिन
    महीने
    और सालों वाले कैलेंडर की फड फड़ाहट
    क्यों क़ि अपनी रौं में
    बहता हुआ कोई शख्स
    फिर अपने बस में भी नही होता है
    ..saarthak prastuti

    जवाब देंहटाएं
  5. दिन
    महीने
    और सालों वाले कैलेंडर की फड फड़ाहट
    kya bat hai aap aur aapki lekhni ko naman

    जवाब देंहटाएं
  6. हम क्योँ नही उबर सके
    अपनी सोच से
    तमाम उम्र गुजर डाली
    इसी सोच में |
    अब तो वक्त भी कह रहा है
    तेरी सोच में
    तब्दिली की सख्त जरूरत है |


    Bahut Khoob!!!!!

    Behad Umda lekhan ke liye apko badhaai......

    जवाब देंहटाएं
  7. गहराई लिए हैं आपकी लाइनें ! मैं आप को फ़ोलो कर रह हूं ! कृप्या म्रेरे ब्लोग पर आ कर फ़ोलो करें व मर्ग प्रशस्त करे !

    जवाब देंहटाएं
  8. हम क्योँ नही उबर सके
    अपनी सोच से
    तमाम उम्र गुजर डाली
    इसी सोच में
    अब तो वक्त भी कह रहा है
    तेरी सोच में
    तब्दिली की सख्त जरूरत है ...
    सच है ... सोच को हर पर समय अनुसार बदलाव की ज़रूरत है ... जीवन का सार इसी में है ... बहुत गहरी सोच का इशारा है इस रचना में ...

    जवाब देंहटाएं
  9. पहली बार पढ़ रहा हूँ आपको और भविष्य में भी पढना चाहूँगा सो आपका फालोवर बन रहा हूँ ! शुभकामनायें

    जवाब देंहटाएं