चाँद तारों के पार जो कोई मुकाम मिल जाये
तो बताना मुझे
एक घर की तलाश जारी है
चौखट ना हो,खिड़की ना हो,दरवाज़ा भी ना हो
कोई बात नहीं
सुकून की एक चादर हो बस इतना काफी है मेरे लिए
एक फूल साथ ले जाऊँगी
खुली हथेली का मोती बनाऊँगी उसे
कुछ उसकी सुनूंगी कुछ अपनी कहूँगी
युही कहते सुनते आसमाँ की सैर करूंगी
एक पन्ना भी ले जाना है मुझे ,खालिस कोरा
उस दुनिया की फ़िज़ा को नज़्म की शक्ल दूँगी
कोई अक्षर टूट के नीजे गिरेगा नहीं
ओढ़नी का जाल पहले बिछा दूँगी मैं
जिस्म को सांस चाहिए
तो रूह को आवाज़ चाहिए
ये अक्षर गुम गए तो मर के फिर मर जाऊंगी मैं
मैं दोबारा मरना नहीं चाहती.
घर मिले तो बताना, किराये की फ़िक्र ना करना.
जो कुछ भी खरा बचा होगा मुझमे
एक ही किश्त में दे जाऊंगी उसे.
उसकी फ़िक्र ना करना
बस घर चाँद तारों के पार हो इसका ख़याल रखना.
घर की तलाश जारी है मिले तो बताना ........,वाह क्या बात है ! आपकी कविता ने तो चाँद पर घर बनाने के सपने को साकार कर दिया . बहुत बहुत बधाई .
जवाब देंहटाएंsoulful....
जवाब देंहटाएंek khawaish meri bhi hai
is ghar me apna padosi jaroor banana mujhe
har lamha shukrana adaa karungee.