मै जब चाहे करवट बदल सकता हूँ ,
स्याह को सफेद और सफेद को स्याह कर सकता हूँ '' |
बाल नव वर्ष बोला ''तब तो तुम बड़े बलवान हों |
जो बलवान होता है वो समर्थ होता है ,
मुझे साल भर की खुराक के लिए जो चाहिए वो दोगे ? ''
समय ने पूछा '' हाँ, हाँ ,क्यों नही | बोलो क्या चाहिए ? ''
नन्हा नववर्ष बोला ''मै बच्चा हूँ |
मुझे रक्त , हिंसा , मारकाट वैमनस्य ,पाप ,
, छल प्रपंच , दुष्कर्म वैराग्य नही भाता |
प्यार चाहिए , दुलार चाहिएखुराक चाहिए , स्वास्थ्य चाहिए
शिक्षा चाहिए , ज्ञान चाहिए
जल चाहिए , प्रकाश चाहिए
भक्ति चाहिए , शक्ति चाहिए
प्रेम चाहिए , अनुरक्ति चाहिए
राग चाहिए , अनुराग चाहिए
धैर्य चाहिए , विश्वास चाहिए
शंख चाहिए , नाद चाहिए
ऐ समय ! मुझे प्रसाद चाहिए '' |
समय नेजल्दी से टोका ---
''रुको , रुको ! नन्हे बाल गोपाल
इतनी लम्बी सूची ?
पिछले साल भी तो सब दिया था '' |
नव वर्ष ने आहत स्वर मै कहा --
''हाँ ! दिया था , मानता हूँ | साथ ही शत्रुता का दंश भी !
जिसके जहर से
कितनी माँओं को निपूती किया
सधवा को विधवा किया
जान को बेजान किया
आगत को ही अनाथ किया
हाँ , समय ! तुमने तो शर्म को शर्मिंदा कर दिया '' |
समय ने कानों पे हाथ रख के कहा
'' बस, बस ! अब सुनने की ताब नहीं |
कोशिश करूंगा ! पूरी कोशिश करूंगा अब मै
तुम्हे वो सब दूँ जिससे तुम मुझ पर गर्व कर सको |
मेरे साथ मिल कर सहर्ष दो कदम चल सको |
मै आज से बल्कि अभी से प्रयासरत होने जा रहा हूँ |
मेरे लिए दुआ करना |
सुना है , बाल मन की प्रार्थना
परमात्मा जल्दी सुन लेता है '' |
आमीन |