वो जो कोई बात
तेरे दिल से निकले
और मेरे दिल तक पहुंचे ,
क्षत विक्षत होकर ,
तो दोष किसका ?
तुमने भेजा लापरवाह होकर
या मैंने लपका बेपरवाह होकर ?
दो ----
समंदर पर बरखा क़ी बूँद
और दिल उदास
तो मन क्या सोचेगा ?
तीन ----
आओ तुम्हे तुम से मिलाएं
क़ी तुम्हे क्यूँ लगता है
क़ी तुम गुम हो गई हो ?
चार ----
बगैर किसी फलसफे के
तुम्हे
तुम्हारी जिल्द के साथ
जो मै पढना चाहूँ
तो क्या ये मुमकिन है ?