रखदो चटके शीशे के आगे मन का कोई खूबसूरत कोना ,यह कोना हर एक टुकड़े में नज़र आये गा |

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शुक्रवार, 19 नवंबर 2010

खामोश सवाल

 एक ----
वो जो कोई बात 
तेरे दिल से निकले 
और मेरे दिल तक पहुंचे ,
क्षत विक्षत होकर ,
तो दोष किसका ? 
तुमने भेजा लापरवाह होकर
या मैंने लपका बेपरवाह होकर ? 

दो ----
समंदर पर बरखा क़ी बूँद 
और दिल उदास 
तो मन क्या सोचेगा ?

तीन ----
आओ तुम्हे तुम से मिलाएं 
क़ी तुम्हे क्यूँ लगता है 
क़ी तुम गुम हो गई हो ? 

चार ----
बगैर किसी फलसफे के
 तुम्हे 
तुम्हारी जिल्द के साथ 
जो मै पढना चाहूँ 
तो क्या ये मुमकिन है ?