रखदो चटके शीशे के आगे मन का कोई खूबसूरत कोना ,यह कोना हर एक टुकड़े में नज़र आये गा |

यह ब्लॉग खोजें

बुधवार, 10 फ़रवरी 2010

विश्वास



विश्वास एक धुरी है जिस पर ज़िन्दगी  नाचती है
विश्वास एक पंख है जिस पर चिड़िया अपनी उड़ान भरती है
विश्वास एक मुस्कुराहट है जिस पर माँ न्योछावर हो जाती है
विश्वास एक समझ है जिस पर पत्नी पति की सहचरी हो जाती है
विश्वास एक भरोसा है जो गुरु अपने शिष्य पर करता है
विश्वास एक सुरक्षा है जो भाई अपनी बहन को देता है
इस एक छोटे से शब्द में कितनी ताकत है, ये तुम्हे हमसे, हमें तुमसे जोड़ता है
लेकिन इसका ताना बाना बहुत नाजुक है
इसे बहुत सहेज के रखना पड़ता है
एक भी तागा उलझना नहीं चाहिए 
एक भी रेशा अड़ना नहीं चाहिए  न ही पकड़ ढीली होनी चाहिए
उलझे धागों में भूल से कोई गांठ पढ़ भी गई तो धैर्य और प्रयास ये ही दो ऐसे मूल मंत्र हैं जिससे ये गांठ बिना टूटे खुल सकती है.
इसके लिए फिर अपने ऊपर विश्वास की ज़रुरत है .