रखदो चटके शीशे के आगे मन का कोई खूबसूरत कोना ,यह कोना हर एक टुकड़े में नज़र आये गा |

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मंगलवार, 16 मार्च 2010

एक पाक एहसास


जमीं पे गिरे चिनार के पत्ते पर 
शबनम की एक बूंद लरज रही थी .
उगते सूरज की रौशनी से वो शबनम नहाई हुई थी .
उसने मुझे पुकारा '' ये पत्ता उदास है , इसे हसी ला के दो .''
मैंने शबनम की बूंद को आहिस्ता से आँखों पे लगाया 
और पत्ते को चूम कर हवा में उड़ा दिया, फिर चल पड़ी  
इस पाक एहसास के साथ कि वो पत्ता अब सारे जहाँ को हसी बाट रहा होगा

 नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं