जिन्दगी से हमे कितना चाहिए और क्या चाहिए
ये इतना मायने नही रखता जितना की
जिन्दगी से मुझे क्यों चाहिए और कैसे चाहिए
ये मायने रखता है |
कितना चाहिए की कोई सीमा नही ,
क्या चाहिए का कोई अंत नही
क्यों चाहिए में एक वजह है
कैसे चाहिए में एक वजन है |
हम पाते है खुश हो जाते है
रम जाते है थम जाते है
क्यों और कैसे को साथ रखे तो
निष्क्रिय होने से बच जाते है | ,