रखदो चटके शीशे के आगे मन का कोई खूबसूरत कोना ,यह कोना हर एक टुकड़े में नज़र आये गा |

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शनिवार, 24 जुलाई 2010

जरूरत

जिन्दगी से हमे कितना चाहिए और  क्या  चाहिए
ये इतना मायने नही रखता  जितना की
जिन्दगी से मुझे क्यों  चाहिए और  कैसे चाहिए
ये मायने रखता है |


कितना चाहिए की कोई सीमा नही ,
 क्या चाहिए का कोई अंत नही
क्यों चाहिए में एक वजह है
कैसे चाहिए में एक वजन है |


हम पाते है खुश हो जाते है
रम जाते है थम जाते है
क्यों और कैसे को साथ रखे तो
निष्क्रिय होने से बच जाते है | ,