रखदो चटके शीशे के आगे मन का कोई खूबसूरत कोना ,यह कोना हर एक टुकड़े में नज़र आये गा |

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बुधवार, 24 मार्च 2010

सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर

अब ना वो पन्नो पे लिखी इबारत है
ना सजदों से घिरी इबादत है
ना ही वो पाकीजगी है .
अब तो ये कमबख्त मुहब्बत
झरोखों से निकल के सडकों पे उतर आई है
या खुदा , इस पाक एहसास की
ये कैसी रुसवाई  है .

 अमिताभ बनाम चह्वाण   
इंसान  सोच से हिम्मती होना चाहिए . अगर कुछ भी सही लगता है तो खुल के प्रशंसा करे, कुछ गलत लगे तो खुल के आलोचना करे . हाजमा दुरुस्त होना चाहिए . सोच की स्वायतता बहुत जरूरी है ,वरना कदम कदम पर सफाई देते रहेंगे .बकौल ''राणा जी माफ करना गलती म्हारे से हो गई ''.

गुरुवार, 18 मार्च 2010

रीतापन

आइये औंटी जी '' उस किशोर रिक्शे वाले कहा .
''नही बेटा ,पास ही घर है ''
''तो क्या हुआ ,आइये ना ''
नही भाई ,रिक्शा नही चाहिए ''
''मै भी उधर ही जा रहा हूँ  उतारदूंगा ''एक पल को वो ठिठका ''औंटी जी बात पैसो की नही है ,आज सुबह से कोई मेरे रिक्शे पर नही चढ़ा  .बस इसी बात से उदासी है''फिर हसते हुए उसने मेरे हाथ से सब्जी वाला बैग ले लिया ''आइये ना ''
उसके दिल के रीतेपन को भरने के ख्याल से मै भी मुस्कुराते हुए ,रिक्शे पे बैठ के बोली ''चल भई ''.
यहाँ भी बात पैसों की नही थी .

मंगलवार, 16 मार्च 2010

एक पाक एहसास


जमीं पे गिरे चिनार के पत्ते पर 
शबनम की एक बूंद लरज रही थी .
उगते सूरज की रौशनी से वो शबनम नहाई हुई थी .
उसने मुझे पुकारा '' ये पत्ता उदास है , इसे हसी ला के दो .''
मैंने शबनम की बूंद को आहिस्ता से आँखों पे लगाया 
और पत्ते को चूम कर हवा में उड़ा दिया, फिर चल पड़ी  
इस पाक एहसास के साथ कि वो पत्ता अब सारे जहाँ को हसी बाट रहा होगा

 नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं