रखदो चटके शीशे के आगे मन का कोई खूबसूरत कोना ,यह कोना हर एक टुकड़े में नज़र आये गा |

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रविवार, 7 अगस्त 2011

प्यार तो प्यार है
बस उसकी शक्ल बदल गई है

देखो मै तुम्हारे लिए
टूथपिक लाया हूँ
तुम्हारी पसंद के बिस्कुट और नमकीन लाया हूँ
पेपर नैपकीन और अलुमूनियम फायल भी लाया हूँ
जो तुम अक्सर भूल जाती हों

हाँ , पहले तुम दोने में गर्म गर्म जलेबी लातेथे
कुछ मैगजीन भी लाते थे
फिल्म की दो टिकटें भी लाते थे

बावजूद इसके मै जानती हूँ
तुम्हारा प्यार नही बदला
तुम आज भी वैसे ही हों
जैसे तब थे

यू आर माई बेस्ट फ्रैंड

मंगलवार, 2 अगस्त 2011

उलाहना




एक

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मै चाहती हूँ मरुस्थल बन के
तुम्हारा सारा दुःख पी जाऊ
और तुम्हे खबर भी हों
मगर तुम बिन बरसे बदल की तरहां
मुंह चिढाते उपर से गुज़र जाते हो
ये तुम क्यूँ कर ऐसा कर जाते हों


दो
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तुम आज फिर मुझे
परिंदे सा छू कर चले गये
मै आज फिर उसी
जानी पहचानी
सिहरन में
जी जी उठी
मर मर उठी